खुद की पहचान

ज़िद है खुद को जीतने की ,

मुश्किल है पर लड़ रहा हूँ,

था मै ख़ास अपने जितने करीबीयों के,

धीरे धीरे उनमे से भी अब तो मै मर रहा हूँ,

ख्वाइशे मेरी पड़ी थी मेरी क़िस्मत की लक़ीरों पे,

जानता हूँ बेबसी ही मिलेगी, लेकिन क्या करू कोशिश पूरी कर रहा हूँ

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Bhupendra Verma

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Bhupendra Verma

Try to express what you feel ..🥀🥀 #writer #delicate